देवास। दो वर्ष पूर्व 4 व 5 फरवरी 2021 के दरमियान जिले के पुंजापुरा क्षेत्र में रतनपुर के जंगल में वनरक्षक का खून से लतपथ शव मिला था। बताया गया था कि वनरक्षक मदनलाल वर्मा बीट का भ्रमण करने के लिए जंगल की और गए थे। जहां से वह पुन: बीट मुख्यालय पर वापस नहीं लौटे थे, इस बात की सूचना मिलते ही उदयनगर थाना प्रभारी टीम के साथ रतनपुर के जंगल में पहुंचे जहां आसपास के क्षेत्र में तलाश किया तो उस दौरान भूरिया तालाब के पास एक शव व बाइक मिली, जिसकी शिनाख्त की तो पता चला की उक्त शव वनरक्षक मदनलाल वर्मा है जो पुंजापुरा रेंज में पदस्थ है। जिसके बाद वनरक्षक का एक विडियो भी वायरल हुआ जिसमें यह दिखाई दिया था की वह किन्हीं लोगों का पीछा कर रहे हैं और अचानक से उन पर गोलीयों से फायर होता है और वहीं उनकी मौत हो जाती है। उक्त विडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने मामले को लेकर अज्ञात आरोपियों के विरूद्ध उदयनगर थाने में अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने आरोपियों को तलाशने के लिए चार विशेष टीमों का गठन किया था, जिसके चलते मुखबिर की सूचना के आधार पर जंगल में छुपे दो आरोपियों को पुलिस ने धरदबोचा था। इन आरोपियों के पास से हथियार व वन्य प्राणियों के सिंग भी मिले हैं जिन्हें जब्त कर लिया गया था। पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया वहां से उन्हें जेल भेज दिया गया था। प्रकरण की सुनवाई शनिवार को बागली में द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश ने की जिसमें दो आरोपियों को आजीवन कारावास व अर्थदंड से दंडित किया है।
यह था पूरा मामला
जिला लोक अभियोजन अधिकारी राजेन्द्र सिंह भदौरिया ने बताया कि मदनलाल वर्मा वन परिक्षेत्र, पुंजापुरा तहसील बागली, जिला देवास में बीट गार्ड के पद पर पदस्थ था। 4 फरवरी 2021 को उसकी ड्यूटी वन परिक्षेत्र, पुंजापुरा की रतनपुर बीट में थी। 4 फरवरी 2021 को मदनलाल सुबह करीब 10.30 से 11 बजे के बीच रतनपुर बीट में ड्यूटी के लिये निकले थे। उसे रोज की तरह 5.30 बजे मुख्यालय पर वापस आ जाना चाहिये था। उस दिन मदनलाल जब शाम 6 बजे तक भी वापस नहीं आये, तो कार्यालय के सहकर्मी वनरक्षक हरीश परमार ने कई बार मदनलाल वर्मा को फोन लगाया परन्तु बात नहीं हुयी, तब वनरक्षक हरीश परमार ने अपने रेंजर दिनेश निगम को फोन पर सूचना दी थी। उसके बाद रेंजर दिनेश निगम, वनरक्षक मनोज वर्मा, हरीश परामार अन्य साथी व पुलिस वाले मदनलाल वर्मा को ढूंढने के लिये जंगल गये थे। जब वे रात 10 बजे वन कक्ष क्रं. 532 में भूरिया तालाब के किनारे पहुंचे तो देखा कि वहां मदनलाल वर्मा गिरे पड़े हुये थे। मोटर साइकिल भी वहीं पड़ी हुई थी। मदनलाल वर्मा के कपड़े खून से लाल हो गये थे और उनकी मृत्यु हो चुकी थी। मदनलाल वर्मा के दाहिने तरफ सीने में बंदूक की गोली की चोट दिखायी दे रही थी और खून निकला था। मौके पर थाना उदयनगर से पुलिस आ गई थी व प्रकरण दर्ज कर विवचेना प्रारंभ की गई। विवेचना के दौरान विवेचक आर.आर.वास्केल ने 6 फरवरी 2021 को आरोपी मोहन एवं गुलाब को गिरफ्तार कर उनसे पूछताछ की तो उन्होंने बताया था कि वह अपने साथी ध्यानसिंह व दीपसिंह के साथ रतनपुर के जंगल में भूरिया तालाब के पास शिकार के लिये घात लगाकर बैठे हुये थे गुलाब की बंदूक मोहन के पास थी। उसी समय नाकेदार मदनलाल वर्मा वहां आ गये थे, उन्हे देखकर आरोपी भागने लगे मदनलाल ने उन्हें पकडऩे का प्रयास किया, तो आरोपी मोहन ने बंदूक से गोली चलाकर मदनलाल की हत्या कर दी। अन्य आवश्यक अनुसंधान उपरान्त अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष पेश किया गया।
यह सामाग्री हुई आरोपियों से जब्त
पुलिस ने आरोपियों के पास से एक भरमार बंदूक, तीन छर्रे, गोलीनुमा लोहे के 4 बडे छर्रे, गोलीनुमा लोहे के 5 छोटे, 5 ग्राम बारूद 1 सांभर का सिंग, 1 हिरण का सिंग बैटरी की लेड 7 टुकडे, रेतड़ी लोहे की, परक्यूशन केप आरोपियों के पास से पुलिस ने जब्त किए थे।
द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश, बागली ने निर्णय पारित कर आरोपी मोहन पिता रायसिंह वास्केल जाति भिलाला उम्र 40 साल निवासी कटुक्या पीपरी थाना उदयनगर को धारा 302 भा.दं.सं. के अधीन आजीवन कारावास एवं 10,000/- रूपये अर्थदण्ड, व धारा 51 वन्यप्राणी (संरक्षण) अधिनियम के अधीन 3 वर्ष का कठोर कारावास व 10,000/- रूपये अर्थदण्ड तथा आरोपी गुलाब पिता मल्ला रावत जाति भिलाला उम्र 60 साल निवासी कटुक्या पीपरी थाना उदयनगर को धारा 51 वन्यप्राणी (संरक्षण) अधिनियम के अधीन 3 वर्ष का कठोर कारावास व 10,000/- रूपये अर्थदण्ड तथा धारा 25(1-बी)(ए) आयुध अधिनियम के अधीन 3 वर्ष का कठोर कारावास व 10,000/- रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया। उक्त प्रकरण गंभीर जघन्य सनसनीखेज प्रकरणों की श्रेणी में चिन्हित था। उक्त प्रकरण में शासन की ओर से अभियोजन का सफल संचालन गजराजसिंह चौहान, अतिरिक्त जिला अभियोजन अधिकारी एवं अखिलेश मंडलोई, अपर लोक अभियोजक, बागली द्वारा किया गया तथा आरक्षक महेन्द्र मंडलोई का सहयोग रहा।