देवास। अधिकांश राजनेताओं की शह पर शहर के कई हिस्सों में शेयर बाजार की एडवाइजरी का कारोबार नियम के विरुद्ध किया जा रहा है। हांलाकि इसकी पुलिस विभाग को भी खबर है लेकिन पुलिस शिकायत का इंतजार कर रही है कि कोई शिकायत आए तो पुलिस कार्रवाई करे। जानकारी के अनुसार शहर के कई क्षेत्रों में पुलिस की कार्रवाई शुभ-लाभ के लालच में नहीं हो पाती। एडवाइजरों के झांसे में फंसकर कई लोग आर्थिक हानी का भी शिकार हो चुके हैं। सूत्रों की माने तो एडवाइजरों को तो शुद्ध लाभ मिल जाता है और वे राजनीतिज्ञ और पुलिस की जेबें गर्म कर बच जाते हैं।
शहर में शेयर बाजार का धंधा काफी तेज गति से चल रहा है, बताया गया है कि कुछ ही व्यवसायी होंगे जो इसका व्यापार नियमानुसार लायसेंस के साथ करते हैं। लेकिन कुछ ऐसे व्यवसायी है जो शेयर बाजार की एडवाइजरी के नाम पर लोगों के साथ ठगी कर रहे हैं। शहर में कई स्थानों पर यह धंधा काफी फल-फूल रहा है, सूत्र बताते हैं कि इन्हें सत्ताधारी नेताओं से शह मिलती है जिस पर इन्हें कानून का भी भय नहीं रहता है। जानकारों की माने तो एडवाइजरी के व्यवसाय को डब्बा ट्रेडिंग भी कहा जाता है। जानकरी के अनुसार वर्तमान में शहर के बीमा रोड़, इटावा बस स्टेंड के सामने, कालानी बाग, मिश्रिलाल नगर में शारदा माता मंदिर के पास, कुशाभाऊ ठाकरे स्टेडियम के पास, न्यू देवास, मेंढकी रोड़ सहित अन्य स्थानों पर एडवाइजरी चल रही है। पुलिस को इसकी जानकारी नहीं है यह कहना अनुचित है। क्योंकि पुलिस को जानकारी है लेकिन शिकायत नहीं हो पाती जिसके चलते पुलिस भी कार्रवाई नहीं कर पा रही।
नियमों को तांक पर रख रहे
जहां तक नियमों की बात करें तो शेयर बाजार में सलाहकार शेयर, एक तरह का इक्विटी मुआवजा होता है। इसे स्टार्टअप कंपनियां, नकद के बजाय या इसके साथ-साथ, अपने सलाहकारों को देती हैं। सलाहकार शेयर, इक्विटी प्रोत्साहन योजना के तहत दिए जाने वाले आम स्टॉक विकल्पों या प्रतिबंधित स्टॉक पुरस्कारों (आरएसए) के शेयरों को भी कहते हैं। एक इक्विटी सलाहकार एक विशेषज्ञ होता है जो निवेशकों को निवेश निर्णयों में मदद करता है। उनका काम निवेशकों को सही दिशा में मार्गदर्शन करना और शेयर बाजार में संभावनाएं तलाशने में उनकी मदद करना होता है। लेकिन यहां पर नियमों को तांक पर रखकर एडवाइजरी संचालित हो रही है।
ऐसे करते हैं अपना मुनाफा
सूत्रों के अनुसार बताया गया है कि क्लाइंट जैसा ही निवेश के लिए सहमत होने के बाद उसका डीमेट एकाउंट खुलवाते है। एकाउंट का पासवर्ड व आईडी एडवाइजर अपने पास रख लेता था। जब मुनाफा होता है तो रकम अपने खाते में ट्रांसफर कर लेता है। जबकि घाटा होने पर निवेशक से संपर्क करना बंद कर देता है। बताया जाता है कि नियमानुसार शेयर मार्केट में एडवाइजरी देने वाली कंपनियों को भी सेबी से लाइसेंस लेना पड़ता है।