सेवानिवृत्त शिक्षक ने जनकल्याण के लिए किया अपना घर दान…….

राजाभाऊ महांकाल सेवा न्यास को घर दान देकर, मृत्यु उपरांत अपना देह दान देने की घोषणा

देवास। शहर के रेवाबाग में रहने वाले एक बुजुर्ग ने अपना घर राजाभाऊ महांकाल सेवा न्यास को दान देने की घोषणा की साथ ही उन्होनें बताया कि उनकी मृत्यु उपरांत उनका शरीर भी वे दान देंगे। उन्होनें बताया कि उनका मकान वे समाज को उपयोग के लिए दान दे रहे हैं। उन्होनें बताया कि वे पूर्व में पूना की निजी कंपनी में कार्यरत थे उनका यह मकान उनके पिता ने बनाया था। पूना से सेवानिवृत्त होने के बाद वे देवास आकर अपने पेतृक निवास में रह रहे हैं। परिवार में उनके दो बड़े भाई व एक बहन है। उनकी पत्नी का निधन हो गया था। उनके दो बच्चे हैं जिसमें एक लडक़ी व एक लडक़ा था। लडक़ा आस्ट्रेलिया देश के सिडनी शहर में रहता था वह केंसर से पीडि़त था। जिसका निधन हो गया है। उन्होनें बताया कि दान में परिजनों की सहमति है परिजनों को कोई आपत्ति नहीं है।


रेवाबाग में रहने वाले एक बुजुर्ग सुधीर दिनकर राव दिनकर रानाडे ने सोमवार को अपना घर राजाभाऊ महांकाल सेवा न्यास का दान में दिया है। उन्होनें बताया कि उनका यह घर वे समाज को उपयोग के लिए दान में दे रहे हैं। परिजनों ने मकान को दान में देने के लिए सहमति दे दी है। श्री रानाडे ने कहा कि जब तक वे जीवित है तब तक उनका यह मकान उनके आधिपत्य में रहेगा। उनकी मृत्यु उपरांत मकान राजाभाऊ महांकाल सेवा न्यास को दान में चला जाएगा। इसके साथ ही उन्होनें मृत्यु उपरांत अपना देह भी दान में देने की घोषणा की है। उन्होनें बताया कि वे कक्षा 2 री में पढ़ते थे तबसे वह शाखा में जाते थे। लगभग 5 वर्ष तक वह लगातार शाखा में गए थे। लेकिन उसके बाद नौकरी लग गई और वे यहां से पूना चले गए थे। उनकी पत्नी का देहांत हो गया था। लडक़ा और लडक़ी दोनों की शादी कर दी थी। लडक़ा ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में रहकर अपना जीवन यापन कर रहा था। लेकिन 2019 में केंसर की बिमारी से ग्रसित हो गया था। जहां उसकी मौत हो गई थी। लडक़ी शाजापुर में उसके ससुराल में रहती है। उन्होनें बताया कि माता-पिता का निधन होने के बाद अपने पेतृक निवास देवास में आए जहां आज भी वह अकेले रहकर खुद खाना भी बनाते हैं साथ ही प्रतिदिन के कार्य भी करते हैं। उन्होनें बताया कि उनके दो बड़े भाई व एक बहन है जिसमें सबसे बड़े भाई भोपाल में रहते हैं दूसरे भाई पूना में है व बहन होशंगाबाद में रहती है।


2772 स्क्वेयर फीट मकान दान दिया
रेवाबाग क्षेत्र के रहवासी 73 वर्षीय सुधीर दिनकर राव रानाडे ने यह उदाहरण प्रस्तुत किया है। सुधीर रानाडे सेवानिवृत्त शिक्षक हैं, साथ ही निजी क्षेत्र में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। सुधीर दिनकर राव रानाडे ने अपने 42 बाय 66 स्क्वेयर फिट कुल 2772 स्क्वेयर फीट मकान को दान दे दिया है। रेवाबाग स्थित यह मकान उनके पिता ने बनवाया था उन्हीं की प्रेरणा से उन्होंने यह निर्णय लिया। उनके इस निर्णय में उनके परिवारजनों ने भी सहमति व्यक्त की। उन्होनें बताया कि मकान को विभिन्न जनहितकारी सामाजिक गतिविधियों को संचालित करने हेतु दान किया है। एक सादे समारोह में विभिन्न सामाजिक संगठनों के गणमान्यजनों की उपस्थिति में श्री रानाडे ने यह घोषणा की।


दधिची ऋषि के प्रसंग से मिली प्रेरणा
श्री रानाडे ने बताया कि वर्ष 1975 से लेकर आज तक प्रतिदिन भागवत का पाठ करते हैं। उसमें दधिची ऋषि का प्रसंग है। उससे उन्हें प्रेरणा मिली है, उन्होनें बताया कि मृत्यु के बाद जब शरीर में से शरीर ही निकल जाए तब या तो उसे कोई जानवर खा जाए। शरीर को जमीन में गाढ़ दिया जाए तो किड़े पड़ेंगे। शरीर को नदी में बहा दिया जाए तो भी पानी के जानवर खा जाएंगे। मृत शरीर को जला दिया जाए तो राख हो जाएगा। इसका उपयोग तो कुछ भी नहीं है। मृत शरीर का उपयोग होना चाहिए जिससे समाज के लोगों को कुछ फायदा होगा मेरे शरीर पर किसी का अधिकार नहीं है इसलिए मैं अपनी मृत्यु उपरांत देह का दान दूंगा।

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