देवास। आज का युग वैज्ञानिक युग माना जाता है इस वैज्ञानिक युग में आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में लोग कई प्रकार के टोटके, तंत्र-मंत्र विद्या को प्रभावी मानते है। ऐसा ही एक मामला मंगलवार सुबह जिला चिकित्सालय के पोस्टमार्टम कक्ष के बाहर देखने को मिला। जहां एक महिला के शव में श्वास लाने के लिए जिला अस्पताल के पोस्टमार्टम कक्ष के बाहर तंत्र-मंत्र का सहारा लिया गया। लेकिन इससे कोई फायदा नहीं हो सका। अंतत: मृत महिला का पोस्टमार्टम कर शव दोपहर में परिजनों को सौंप दिया गया। मामले को लेकर पुलिस ने मर्ग कायम कर प्रकरण को जांच में लिया है।
जिले के ग्राम भौंरासा में रहने वाली अर्चना पति अखिलेश हनोतिया उम्र 30 वर्ष को सोमवार रात करीब 11.30 बजे सर्प ने काट लिया था। जिसके बाद महिला की नींद खुली उसने पति को बताया था। इस संबंध में पति अखिलेश ने बताया कि वह पलंग से नीचे सोई हुई थी। सांप के काटने के बाद उसकी पत्नी ने उसे बताया तो उसने सांप को डंडे सेे मारने का प्रयास किया तो पत्नी ने उसे मारने से मना कर दिया था। महिला के पति अखिलेश ने बताया कि सांप के काटने बाद भौंरासा क्षेत्र में सांप के काटने का उपचार करने वाले व्यक्ति से अर्चना को धागा करवाया गया। जिसने यह सब किया वह पहले भी सांप काटने वाले लोगों का उपचार कर चुका है। परिजनों के कहने के बाद महिला को देर रात जिला अस्पताल लाया गया जहां डॉक्टरों ने महिला को मृत घोषित कर दिया था। मंगलवार सुबह महिला का पोस्टमार्टम कर शव परिजनों को सौंप दिया गया था। इस मामले को लेकर पुलिस ने मर्ग कायम कर प्रकरण को जांच में लिया है।
15 मिनिट तक मंत्र पढ़े लेकिन……..
मंगलवार सुबह मृत महिला का पोस्टमार्टम होना था। लेकिन सुबह महिला के परिजनों ने पुलिस व वहां मौजूद डॉक्टर को कहा कि सर्पदंश का उपचार झाड फूंक करने वाले को बुलाया है उसके आने के उपरांत ही आगे की स्थिति के बाद ही देखेंगे। काफी देर के बाद झाड फूंक करने वाला एक युवक व एक महिला आई पोस्टमार्टम कक्ष के बाहर महिला ने हाथ में कुछ झाड़ी लेकर बाहर से करीब 15 मिनिट तक मंत्र पढ़े, मृत महिला को जिंदा करने का प्रयास करती रही लेकिन वह जिंदा नहीं हो पाई। एक युवक को अंदर जाकर महिला को देखने के लिए कहा, कुछ नहीं होने पर बाद में वे लोग लौट गए।
गौरतलब है कि बारिश का सीजन शुरू होते ही जहरीले जीव-जंतुओं सर्प, गोयरा, दीवड़ आदि के द्वारा लोगों को काटने की घटनाएं बढ़ गई हैं। हर साल इस सीजन में जिले में सर्पदंश से 10-15 लोगों की जान चली जाती है। कई मामलो में झाड़ फूंक के चक्कर में पड़ जाने से उपचार में देर भी हो जाती है। बताया गया है कि इस वर्ष सर्पदंश की जिले में आधा दर्जन से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें से कई में सर्प जहरीली प्रजाति का नहीं होने से लोगों की जान बच गई है।