सुरों के रसराज पंडित जसराज का 17 अगस्त की शाम 5.15 पर न्यू जर्सी में निधन हो गया था। बुधवार को पंडित जी की पार्थिव देह मुंबई पहुंची। परिवार की ओर से मिली जानकारी के अनुसार पंडित जसराज का अंतिम संस्कार 20 अगस्त को राजकीय सम्मान के साथ होगा।पंडित जसराज का 90 साल की उम्र में कार्डिएक अरेस्ट की वजह से निधन हो गया। पद्म विभूषण पंडित जसराज पिछले कुछ समय से अपने परिवार के साथ अमेरिका में ही थे।उनके परिवार में पत्नी मधुरा जसराज, बेटा सारंग और बेटी दुर्गा जसराज हैं। उन्होंने एक अनोखी जुगलबंदी जसरंगी और मधुराष्टकम की रचना की थी।
पंडित जसराज के नाम पर मंगल और बृहस्पति की कक्षा के बीच एक क्षुद्र ग्रह को उनका ही नाम दिया गया है।
बेटी दुर्गा करती रहीं दुलार
पिता के निर्जीव शरीर को देख बेटी दुर्गा खुद को रोक नहीं सकीं। वे कभी उनके हाथों को सहलाती रहीं तो कभी उनके चेहरे को। इस बीच उनके घर में पंडित जी के गाए भजन ही गूंज रहे थे। पंडित जसराज के परिवार में बेटे सारंग, बेटी दुर्गा, पोते-पोती स्वर शर्मा, अवनि जसराज, मेहरा, ऋषभ देव पंडित और ईश्वरी पंडित उनकी अंतिम दर्शन की कुछ फोटो शेयर कीं।
मेवाती घराने के संगीत मार्तण्ड पं. जसराज
28 जनवरी 1930 को हरियाणा के हिसार में जन्मे पंडित जसराज ऐसे परिवार से ताल्लुक रखते थे, जो 4 पीढ़ियों से शास्त्रीय संगीत की परंपरा को आगे बढ़ा रहा था। खयाल शैली की गायिकी पंडित जसराज की विशेषता रही। उनके पिता पंडित मोतीराम मेवाती घराने के संगीतज्ञ थे।