देवास। नगर निगम सभापति के लिए चुनाव नगर पालिका निगम में बुधवार को हुए जिसमें भाजपा व कांग्रेस से दो उम्मीदवार मैदान में थे। जिसमें भाजपा प्रत्याशी को महापौर के मत सहित 40 मत प्राप्त हुए व कांग्रेस के प्रत्याशी को सिर्फ 6 मत ही मिल सके। जिस पर भाजपा प्रत्याशी सभापति पद के लिए निर्वाचित हुए। निर्वाचन की इस पूरी प्रक्रिया को कवरेज करने के लिए समस्त मीडिया कर्मी भी नगर निगम कार्यालय पहुंचे थे। जहां अनाधिकृत लोगों का प्रवेश निगम कार्यालय में दिया गया, किंतु मीडिया कर्मियों से जिला प्रशासनिक अधिकारियों ने दूरी बनाकर उनके प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया। जबकि देश में लोकतंत्र के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कि चुनावी प्रक्रिया से मीडिया को दूर रखा जाए। लेकिन यहां पर जिला प्रशासन ने नया इतिहास लिख डाला और मीडिया को समस्त प्रक्रिया से दूर रखा। इस बात का विरोध जब मीडिया कर्मियों ने किया तो भी उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया। इस बीच काफी देर तक मीडिया कर्मियों और पुलिस के बीच बहस भी हुई, जिस पर एसडीएम कुछ देर के बाद यहां आए और उन्होनें भी प्रवेश देने से मना कर दिया। जबकि देश के लोकतंत्र में राष्ट्रपति का चुनाव भी मीडिया की उपस्थिति में हुआ था। इस पर सवाल यह उठता है कि क्या सभापति का पद राष्ट्रपति से भी बड़ा है, या फिर बंद कमरे में चुनावी प्रक्रिया को मीडिया से छिपाकर कोई साजिश रची जा रही थी जिस पर मीडिया से दूरी बनाई गई।
नगर निगम सभापति चुनाव नगर पालिका निगम में बुधवार को हुए जिसमें भाजपा की और से रवि जैन व कांग्रेस से अनुपम टोप्पो ने फार्म भरा था। सभापति चुनाव में भाजपा के रवि जैन विजयी हुए। महापौर सहित सभी 45 पार्षदों ने वोटिंग की जिसमें रवि जैन को 40 मत और अनुपम टोप्पो को 6 मत प्राप्त हुए थे। इस पूरी चुनावी प्रक्रिया की कवरेज करने के लिए समस्त मीडियाकर्मी नगर निगम पहुंचे थे। जहां मीडियाकर्मियों के लिए परिसर में टेंट लगाकर बैठक व्यवस्था की गई थी, लेकिन अंदर प्रवेश नहीं दिया गया था। जबकि यहां पर 45 वार्ड पार्षदों के साथ उनके पति व महापौर पति को भी प्रवेश दिया गया। यहां तक की विधायक व उनके पुत्र को भी प्रवेश दिया गया। लेकिन मीडिया को इस प्रक्रिया से दूर रखकर उनके प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया गया, इसके पीछे कई सवाल उठ रहे हैं। मीडिया के प्रवेश को प्रतिबंधित कर अनाधिकृत लोगों को प्रवेश देना जिला प्रशासन और सत्ताधारी नेताओं की मिलीभगत दर्शाता है। इसके पीछे पूरे मामले में एसडीएम प्रदीप सोनी ही दिखाई दे रहे हैं क्योंकि बताया जाता है कि निगम में निर्वाचन की प्रक्रिया को पूरी करने के लिए प्रदीप सोनी ही थे जिन्होनें यहां की व्यवस्थाएं की थी। गौरतलब है कि एक बार पूर्व में भी एसडीएम प्रदीप सोनी माता टेकरी पर मंदिर प्रांगण में जूते पहनकर गए थे, उस दौरान भी उनका विरोध किया गया था।
मीडिया पर प्रतिबंध, अनाधिकृत लोगों का रहा प्रवेश
सभापति चुनाव के दौरान नगर निगम में जमकर हंगामा हुआ। जहां मीडिया कर्मियों को रोककर अनाधिकृत लोगों को व नेताओं को अंदर प्रवेश दिये जाने को लेकर मीडियाकर्मियों ने जमकर विरोध किया। जिसके बाद प्रशासन के खिलाफ मीडियाकर्मियों ने नारेबाजी भी की। नगर निगम में हो रहे चुनाव में मीडिया को प्रवेश नहीं दिए जाने पर सभी मीडियाकर्मियों ने प्रशासनिक अधिकारियों में पुलिस अधीक्षक, एसडीएम, निगमायुक्त, नगर पुलिस अधीक्षक, डीएसपी के सामने अपना विरोध प्रदर्शन किया। नगर निगम कार्यालय में मीडिया के प्रवेश पर तो रोक लगाई साथ ही अनाधिकृत लोगों को प्रवेश दे दिया।
पहली बार ऐसा हुआ, इससे पहले भी चुनाव हुए हैं
ऐसा पहली बार हुआ है जहां पर निकाय चुनाव को लेकर मीडिया को जिला प्रशासन ने दूर रखा है। इससे पहले भी चुनाव हुए है जहां पर मीडिया चुनाव का पूरी तरह से कवरेज कर चुका है। इस संबंध में प्रेस क्लब अध्यक्ष अतुल बागलीकर व वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मिश्रा ने बताया कि चुनावी प्रक्रिया के दौरान जिला प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा लगातार आश्वासन दिए गए कि आपको कार्यालय के अंदर प्रवेश दिया जाएगा। कई अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि हम बात करते हंै। एसडीएम प्रदीप सोनी अंदर से आए और कहने लगे की मैं कलेक्टर से बात करके बताता हूं। उसके बाद पुलिस अधीक्षक आए उन्होनें भी 5 मिनिट का समय मांगा लेकिन कोई नहीं आया। इस तरह से मीडिया को अंदर जाने से क्यों रोका जा रहा है यह सवाल है ? उन्होनें कहा कि निश्चित तौर पर अंदर कुछ हो रहा था जिस पर मीडिया को प्रवेश नहीं दिया गया। यह पहली घटना नहीं है इस प्रकार की घटनाएं कई बार हो चुकी है।