जिला जेल में महिला और पुरुष कैदी कर रहे नवाचार……!-पुरुष कैदी बना रहे भगवान गणेश प्रतिमाएं, महिला कैदियों ने बनाई राखियां, भगवान के वस्त्र-नवाचार करने से कैदियों की विचारधारा में काफी परिर्वतन आया : हिमानी मनवारे

देवास। जेल में महिला और पुरुष कैदियों को पिछले दिनों एडीजे के साथ लिलेंस क्लब की महिलाओं ने पूर्व में विभिन्न प्रकार की सामाग्री बनाना सिखाया था। उसी के तहत पुरुष कैदियों ने जेल में भगवान श्री गणेश की छोटी बड़ी प्रतिमाएं बनाई। महिला कैदियों ने जनमाष्टमी के पूर्व भगवान के वस्त्र बनाएं है। इसका स्टॉल भी जेल परिसर के बाहर लगाया गया है। जेल अधीक्षक ने बताया कि कैदियों में बहुत सी कलाएं छुपी हुई है, यहां पर कुछ कैदी गायक, वादक और मूर्ति कलाकार भी है। इनका कला को कैदियों ने नवाचार करते हुए उकेरा है। इनकी प्रतिभा को पहचान देने के लिए मूर्तियां और भगवान के वस्त्र बाजार में विक्रय के लिए भी रखे गए हैं।


जिला जेल में कैदियों के द्वारा लगातार नवाचार किए जा रहे हैं, जेल अधीक्षक हिमानी मनवारे ने बताया कि इस प्रकार के नवाचार करने से कैदियों की विचारधारा में काफी परिर्वतन आया है। कैदी अपराध से दूर रहकर उनके अंदर छिपी प्रतिभा को उकेर रहे हैं। उन्होनें बताया कि जेल में कैदियों ने इससे पहले भी कई नवाचार किए हैं, इसी के चलते महिला कैदियों ने राखियां बनाई, भगवान के वस्त्र बनाएं। जेल परिसर के बाहर लगे स्टॉल से काफी लोगोंं ने राखियां खरीदी इनका दाम बाजार से कम था। महिलाओं ने भगवान के सुंदर वस्त्र भी बनाए हैं उनका विक्रय भी स्टॉल लगाकर किया जाएगा। मंगलवार को महिला कैदियों के द्वारा बनाई गई राखियां व भगवान के वस्त्र कलेक्टर ऋषव गुप्ता को भेंट किए।


महिलाएं 1 मिनिट में 1 राखी तैयार कर रही
जेल अधीक्षक हिमानी मनवारे ने बताया की जेल में बंद महिला कैदियों ने यहां पर राखियों के साथ भगवान के वस्त्र भी बनाए है। महिला कैदियों को इसके लिए कपड़ा और सिलाई की सामाग्री दी है। उन्होनें बताया कि इस प्रकार के नवाचार से उनके विचार धारा में भी बदलाव आएगा। महिलाओं कैदियों के द्वारा राखियों का निर्माण भी किया गया है। कैदी महिलाओं ने लगभग 1 हजार 5 सौ राखियां बनाई है। महिलाओं को लिलेंस क्लब के द्वारा राखियां और भगवान के वस्त्र बनाना सिखाया गया था उससे प्रेरणा लेते हुए कैदी महिलाओं ने बनाया है। जेल परिसर के बाहर स्टॉल भी लगाया गया है जहां बाहर से आ रहे लोग राखियां खरीद भी रहे हैं। जनमाष्टमी पर्व तक रक्षाबंधन पर्व मनाया जाता है तब तक स्टॉल भी लगा रहेगा। इस प्रकार की प्रतिभा महिला और पुरुष कैदियों के अंदर ही है इसलिए नवाचार कर रहे हैं। इन कार्यों से कैदियों में उत्साह है बुरे कामों से बचा भी जा रहा है। महिलाएं 1 मिनिट में 1 राखी तैयार कर रही है।


पुरुष कैदी बना रहे भगवान श्री गणेश की प्रतिमाएं
जेल अधीक्षक हिमानी मनवारे ने बताया की जेल में बंद कैदियों मे नवाचार करने की जिज्ञासा बन रही है। भगवान श्री गणेश की प्रतिमा बनाना एडीजे निहारिका सिंह व लिलेंस क्लब की महिलाओं ने मूर्तियां बनाना बताया था। पुरुष कैदी भगवान श्री गणेश की मूर्तियां बना रहे है उन्होनें बताया कि आज रक्षाबंधन पर्व पर बहनें बंदी भाईयों को राखी बांधने के लिए यहां आएंगी तो उन्हें इनकेे द्वारा निर्मित भगवान की मूर्तियां उपहार स्वरुप भाई बहनों को देंगे। यहां पर 10 से 12 ऐसे कैदी है जो मूर्तियोंं का निर्माण अच्छे से कर रहे हैं। जेल के लिए भी कैदी ही भगवान की प्रतिमा बना रहे हैं। उन्होनें बताया कि भगवान की प्रतिमाएं इको फ्रेण्डली है। ये ऐसी मिट्टी से बनाई गई है जो हम विर्सजन करेंगे तो प्रदूषण नहीं होगा। इन मूर्तियों के बीच में हमने पौधों के बीज रखे हैं जैसे ही मूर्ति का विर्सजन होगा उससे हमें एक नया पौधा मिलेगा। उन्होनें कहा कि कैदियों के नवाचार से हमारा उद्देश्य है कि उनकी विचारधारा में बदलाव आए। कैदी कुछ नया सिखकर बाहर जाएंगे तो उसका उपयोग बाहर करने से उन्हें रोजगार के अवसर मिलेंगे। अपराधों से दूर रहेंगे, यही हमारा मुख्य उद्देश्य है।

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