अमृत संचय अभियान में बारिश के पानी को थामने की कोशिशें तेज हम अपनी अगली पीढ़ी को संपत्ति के साथ-साथ जल की अनमोल विरासत भी सौंपे : प्रियंका मिमरोट

देवास। हम अपनी अगली पीढ़ी की सुख-सुविधाओं के लिए पूरे जीवन जतन करते हैं, लेकिन हम भूल जाते हैं कि समाज को अगली पीढ़ी के लिए जल की अनमोल विरासत भी सौंपने की महती आवश्यकता है। हमें अमृत संचय अभियान के अंतर्गत अपने मकानों की छत पर आने वाले बारिश के पानी को सहेज कर रूफ वाटर हार्वेस्टिंग तकनीक पर जोर देना पड़ेगा। यह बात संयुक्त कलेक्टर सुश्री प्रियंका मिरमोट ने अमृत संचय अभियान की तैयारी बैठक में नागरिकों और संस्थाओं के प्रतिनिधियों की बैठक में कही। वरिष्ठ भूजलविद तथा देवास रूफ वाटर हार्वेस्टिंग तकनीक को लोकप्रिय बनाने वाले जल वैज्ञानिक डॉ सुनील चतुर्वेदी ने सविस्तार छतों से व्यर्थ बहकर जाने तथा जल भराव की समस्या पैदा करने वाले जल के बुद्धिमत्तापूर्ण सहेजने की बात कही। उन्होंने कहा कि इस तकनीक से हम देवास शहर में कई करोड़ लीटर पानी बचा सकते हैं।


प्रारंभ में श्रीकांत उपाध्याय ने देवास की जल परंपरा और उसके लगातार दोहन से पैदा हुए जल संकट के बारे में विस्तार से बात की और कहा कि अब भी देर नहीं हुई है। हमें जुटना पड़ेगा ताकि देवास पानीदार हो सके। बैठक में सुनील जाट ने अपने अनुभव साझा किए। डॉ समीरा नईम ने कहा कि हम सबको अपनी जिम्मेदारी समझकर इस काम को अंजाम देना होगा। इसे हम अपनी मिट्टी के कर्ज की तरह करें। ओपी पाराशर, गंगासिंह सोलंकी, अरविंद त्रिवेदी, राजेश व्यास, राजेश पटेल, चन्द्रपालसिंह, महेंद्रसिंह राणा, सुदेश सांगते, संग्राम सिंह घाडगे, चेतन उपाध्याय, भरत चौधरी, सफिया कुरेशी, एसएम जैन, आरएस केलकर और ओम जोशी सहित कई प्रतिष्ठितजन उपस्थित थे।

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