देवास। अपराधिक न्याय व्यवस्था के अलग अलग स्तंभों के मध्य सूचनाओं का आदान-प्रदान डिजिटल प्लेटफार्म पर करने के लिए देवास जिला पायलेट डिस्ट्रीक्ट के रूप में चयनित किया गया है। पायलेट प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश का पहला जिला होगा, जिसमें विवेचकों के पास टेबलेट होंगे। अपराधिक न्याय से जुड़े सभी विभाग डिजिटल माध्यम से एक दूसरे से जुड़ेंगे। विवेचना, वारंट, समंस, एमएलसी, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, एफएसएल जांच, न्यायालय, अभियोजन और जेल विभाग जानकारियां साझा करेंगे। इस व्यवस्था को प्रदेश में लागू करने के लिए जिले को पायलेट जिले के रुप में लेकर यहां पुलिसकर्मियों, डाक्टरों, एफएसएल अधिकारी, अभियोजन के वकीलों विवेचकों की ट्रेनिंग करवाई जाएगी। सिस्टम पूरी तरह से लागू होने पर अपराधिक न्याय व्यवस्था सुलभ, पारदर्शी और तेज हो जाएगी। इसको लेकर रविवार को देवास में वृहद स्तर पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यशाला आज इंदौर रोड़ स्थित होटल नंदन कानन में आयोजित हुई जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय इंदौर खंडपीठ के न्यायमूर्ति संजीव एस कोलगांवकर उपस्थित रहे। अतिथि के रूप में देवास के प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश अजय कुमार मिश्रा, एससीआरबी मध्यप्रदेश के एडीजी चंचल शेखर, एडीजी उज्जैन उमेश जोगा, डीआईजी उज्जैन नवनीत भसीन, कलेक्टर ऋतुराज सिंह उपस्थित रहे। कार्यशाला का शुभारंभ सभी अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर किया। स्वागत भाषण पुलिस अधीक्षक पुनीत गेहलोद ने दिया। उन्होंने सभी अतिथियों का स्वागत कर बताया कि अब आपराधिक व्यवस्था के सभी स्तम्भों को डिजिटल माध्यम से एक दूसरे से जोडऩे का कार्य होगा। इसके तहत न्याय व्यवस्था तेज, पारदर्शी और सुलभ हो जाएगी।

न्यू क्रिमिनल लॉ एंड डिजिटल इंटीग्रेशन रिफॉर्मिंग जस्टिस फॉर द फ्यूचर कार्यशाला के माध्यम से पुलिस, अभियोजन, न्यायपालिका, जेल और फोरेंसिक विभागों की पूरी प्रक्रिया डिजिटल करने संबंधी जानकारी दी गई। कार्यशाला में पीपीटी प्रेजेंटेशन एससीआरबी की एआईजी प्रांजलि शुक्ला ने दिया। कार्यशाला का संचालन एएसपी ग्रामीण सौम्या जैन ने किया। आभार एएसपी शहर जयवीर सिंह भदौरिया ने माना।

इस डिजिटल पहल के अंतर्गत, विवेचना, वारंट, समंस, एमएलसी, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, एफएसएल जांच, न्यायालयीय कार्रवाई व अभियोजन की जानकारियों का आदान-प्रदान एक ही प्लेटफॉर्म पर संभव होगा। पॉयलेट प्रोजेक्ट के तहत देवास प्रदेश का पहला ऐसा जिला होगा, जहाँ अधिकतम विवेचकों को टेबलेट प्रदान किए जाएंगे, जिससे उनकी कार्यप्रणाली अधिक सुदृढ़, पारदर्शी व दक्ष बनेगी। उल्लेखनीय है कि अंतर विभागीय डिजिटल एकीकरण की उक्त व्यवस्था के कुछ अहम पहलू जैसे ई- समन व वारंट, बेल एप्लीकेशन मोड्यूल, मेड-ले-पार आदि को जिला देवास में पहले से ही सुचारू रुप से क्रियान्वित किया जा रहा है। इस अभिनव व्यवस्था के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए कार्यशाला में विभिन्न विभागों के अधिकारियों को प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया। आगामी दिनों में पुलिसकर्मियों, चिकित्सकों, एफएसएल अधिकारियों, अभियोजन अधिवक्ताओं और विवेचकों को इस प्रणाली के उपयोग के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा, जिससे एक समन्वित, तेज और जनहितकारी आपराधिक न्याय प्रणाली की स्थापना की जा सके। कार्यशाला के पश्चात खुली चर्चा के दौरन न्यायाधीशगणों, अधिवक्ताओं, पुलिस अधिकारियों व चिकित्सकों द्वारा विभिन्न प्रश्न पूछे गए जिनके जवाब मंचासीन अतिथियों द्वारा दिए गए।

एडीजी एससीआरबी चंचल शेखर ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए इसे आपराधिक न्याय प्रणाली हेतु एक अहम पड़ाव बताया, साथ ही न्यायपालिका द्वारा प्रचलित सीआईएस सिस्टम को सीसीटीएनएस से उत्तरोत्तर संबद्ध करने पर जोर दिया। प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश अजय कुमार मिश्रा द्वारा न्यायपालिका द्वारा डिजिटलीकरण हेतु किए गए प्रयासों का उल्लेख किया व न्याय व्यवस्था के समस्त स्तंभों को डिजिटल प्लेटफार्म पर जोडऩे को समय की आवश्यकता बताया।