देवास। शहर से कुछ दूरी पर ग्राम नागदा में पहाड़ी के आसपास राजपरिवार की निजी भूमि पर कुछ लोगों ने वर्षो से अतिक्रमण कर अपने कच्चे मकान बना लिए थे। इसे हटाने की सूचना रहवासियों को भू-स्वामी के माध्यम से गत दिनों जिला प्रशासन के द्वारा दी गई थी। जिस पर सोमवार को जिला प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में भू-स्वामी के द्वारा जेसीबी से अस्थाई बनाए गए कच्चे-पक्के मकानों को जमींदोज कर दिया गया था। इसके विरोध में मंगलवार को नागदा के रहवासी कांग्रेस नेताओ के नेतृत्व में कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और नारेबाजी कर अपनी विभिन्न मांगों को लेकर तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा।
मंगलवार दोपहर में कलेक्टर कार्यालय पहुंचे नागदा के लोगों ने बताया कि हम 45 साल से रविदास मोहल्ले में रह रहे हैं। प्रशासन ने पहले नोटिस दिया था लेकिन उस समय कोई कार्यवाही नहीं की ओर मकान तोड़ दिये गए। जिससे राशन, बिस्तर सहित अन्य सामान क्षतिग्रस्त हो गया था। इस पर नाराज कांग्रेस नेता प्रदीप चौधरी साहित कई कांग्रेस नेताओं ने रविदास नगर के रहवासियों के साथ रैली निकालकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और विधायक तथा प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर कलेक्टर कार्यालय के बाहर सडक़ पर बैठकर विरोध प्रदर्शन करते हुए तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा।
राजनैतिक दबाव में की कार्रवाई
कांग्रेस नेता प्रदीप चौधरी ने आरोप लगाते हुए कहा कि वर्षो से निवास कर रहे गरीबों के मकान व झुग्गी झोपड़ी प्रशासन ने राजनैतिक दबाव में आकर ध्वस्त कर दिए। जहां एक और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहते है जो जहां रह रहा है, वही उसका निवास रहेगा, वहीं का उसे पट्टा मिलेगा, लेकिन प्रशासन द्वारा जो मकान तोडऩेे की कार्यवाही राजनैतिक दबाव में आकर की गई वह सरासर गलत है।
पहले आशियाना दिया जाए
कांग्रेस की मांग की है कि रविदास नगर के रहवासियों को पहले आशियाना दिया जाए उसके बाद जिसकी भी जमीन हो उसे दे दी जाए अगर उनको उनका बसेरा नहीं मिला तो कांग्रेस पार्टी उनके साथ है। जिसके लिए भले ही उग्र आंदोलन करना पड़े। इधर कांग्रेस नेता ने प्रदीप चौधरी ने सिद्धिविनायक भक्त मण्डल की और से पीडि़त परिवार को 5-5 हजार रुपए देने की बात कही है।
10 दिनों पूर्व दिए थे नोटिस
गौरतलब है कि नागदा पहाड़ी से लगी यह भूमि राजपरिवार की है। जहां वर्षों से कई लोगों ने अपना कब्जा जमा लिया और कच्चे मकान बनाकर यहां के रहवासी बन गए व पूरी बस्ती निर्मित होने लगी थी। इसके साथ ही कच्चे मकान के साथ पक्के मकान भी लोग बनाने लगे हुए थे। जिस पर भू-स्वामी के माध्यम से की गई शिकायत के आधार पर अतिक्रमण हटाया गया। बताया गया है कि 10 दिनों पूर्व ही यहां के 92 परिवार को नोटिस भी दिए गए थे।