देवास। राजनीति के मायने कैसे बदलते हैं यह देखने में आने लगा है, जो कद्दावर नेता भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए थे, वह पुन: भाजपा का दामन थामने के लिए चल दिए। जब नेता जी से पूछा गया तो उन्होनें इतना ही कहा कि सुबह का भूला अगर शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते….। इससे यह जाहिर हो गया है कि राजनीतिज्ञों को राजनीति नहीं वरन अपना हित साधना है और राजनीतिज्ञों ने इस तरह से यह कर दिखाया। खैर…..यह आज की बात नहीं है वर्षों से चली आ रही परंपरा है जिसे समय-समय पर सार्थक किया जा रहा है।
भाजपा के कद्दावर नेता माने जाने वाले पूर्व मंत्री दीपक जोशी ने विधानसभा चुनाव से पूर्व 6 मई 2023 को भाजपा छोड़ कांग्रेस का दामन थामा था, विधानसभा चुनाव में खातेगांव से उन्हें कांग्रेस से टिकट दिया था। उनके प्रतिद्वंदी आशीष शर्मा से करारी हार के बाद दीपक जोशी ने फिर भाजपा का दामन थामने का विचार कर लिया है। दीपक जोशी का कहना है कि उनका मूड भाजपा में जाने के लिए बन गया है। बताया गया है कि दीपक जोशी भाजपा का दामन थामने भोपाल जाने के लिए फोन का इंतजार कर रहे थे। कहा जा रहा है कि कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को भाजपा में शामिल करना भी एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है। इससे भाजपा को आने वाले लोकसभा चुनाव में लंबी बढ़त हांसिल हो सकती है। वैसे दीपक जोशी के पिता स्व. कैलाश जोशी भाजपा से पूर्व मुख्यमंत्री रहे थे। लेकिन उन्होनें कभी भी पार्टी को छोड़ा नहीं पार्टी की विचारधारा के साथ हमेशा लगे रहे।
सिर्फ नेता से वास्ता रहता है
कहा जाए तो कुछ नेताओं को पार्टी से कोई सरोकार नहीं होता, उन्हें सिर्फ नेता से वास्ता रहता है। बताया जाता है कि बड़े व कद्दावर नेता अपना हित साधने के लिए अपनी राजनीति में परिवर्तन करते हैं तो उनके साथ-साथ छोटे नेता भी हित के लिए परिवर्तन करने में पीछे नहीं हटते। अगर यह कहें कि जिधर हमारा नेता, उधर हम…. तो कोई गलत नहीं है। राजनीतिज्ञ विशेषज्ञों के द्वारा बताया जा रहा है है कि अगर भाजपा लोकसभा चुनाव में 400 के पार होती है तो उसके बाद संविधान में संशोधन कर नया संविधान बनाया जा सकता है, हिंदू राष्ट्र घोषित किया जा सकता है, एक पार्टी की सरकार हो सकती है।