उज्जैन. सावन मास के दौरान प्रति सोमवार उज्जैन में निकलने वाली भगवान महाकाल की सवारी नए रूट से ही निकलेगी। सवारी को पुराने रूट से निकाले जाने को लेकर दायर जनहित याचिका मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने खारिज कर दी है। हाई कोर्ट ने कहा कि सवारी का मुख्य उद्देश्य भगवान को घाट पर लाकर स्नान कराना है, इसमें रूट का कोई महत्व नहीं है। याचिका में जनहित प्रतीत नहीं होता है।
गौरतलब है कि सावन मास के दौरान हर सोमवार को उज्जैन में भगवान महाकाल की सवारी पिछले कई सालों से निकाली जा रही है। इस बाद कोरोना के चलते सवारी का रूट छोटा और नया कर दिया गया है, जिसे लेकर कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जस्टिस सतीशचंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पिछले दिनों याचिका सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
हाई कोर्ट ने फैसले में कहा कि कोरोना के चलते सवारी को लेकर जो फैसला लिया है वह बिलकुल सही है। सवारी का मुख्य उद्देश्य भगवान को घाट पर लाकर स्नान कराना है। इसमें रूट का कोई महत्व नहीं है। मंदिर कमेटी, अनुभवी पुजारी और प्रशासन ने सोच-समझकर ही नया रूट बनाया है। कोरोना को देेखते हुए फैसला सही है। इसमें हाई कोर्ट कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी। हाई कोर्ट ने फैसले में भगवना जगन्नाथ की पुरी में निकलने वाली रथयात्रा का भी जिक्र किया। कोर्ट ने कहा कि पुरी की यात्रा एक बिलकुल अलग विषय है। याचिकाकर्ता ने पुरी में निकली यात्रा का हवाला देकर पुराने रूट पर सवारी निकालने की मांग की थी।