देवास। शहर के शंकरगढ़ में मुक्तीधाम के पीछे राम मंदिर की करीब 18 बीघा कृषि भूमि है जिस पर एक व्यक्ति का वर्षों से कब्जा था। यह मामला न्यायालय में विचाराधीन था, द्वितीय सत्र न्यायाधीश के द्वारा एक आदेश पारित हुआ जिसमें उक्त भूमि से अवैध आधिपत्य को हटाना था। तहसीलदार के द्वारा विधिवत सुनवाई का अवसर दिया गया था। उसके बाद शनिवार को अवैध आधिपत्य को हटाया गया। इस दौरान तहसीलदार व उनकी टीम के साथ भारी पुलिस बल तैनात रहा।
मुक्तिधाम के पीछे एक मंदिर की भूमि पर लंबे समय से एक व्यक्ति का कब्जा था जो वर्षों से उक्त भूमि पर खेती करता था। शनिवार को प्रशासनिक टीम राजस्व अधिकारी व पटवारियों के साथ उक्त भूमि पर पहुंची और सीमांकन के बाद उक्त भूमि को कब्जेधारी के कब्जे से मुक्त करवाया। कब्जेधारी द्वारा जो फसल खेत में उगाई गई थी जेसीबी के माध्यम से उसे भी नष्ट करवाया गया। साथ ही भूमि पर बने टीनशेड को भी जमींदोज किया गया। इस दौरान मौके पर भारी संख्या में पुलिसबल तैनात था। बताया गया कि शंकरगढ़ स्थित भूमि सर्वे क्रमांक 78, 79, 80, 81, 87, 88, 89, 90, 91, 92, 93, 94, 95 कुल 13 रकबा करीब 4.439 हेक्टेयर जमीन पर पिछले वर्षों से इजहार अली नामक व्यक्ति का कब्जा था। उक्त भूमि श्री राम मंदिर व पुजारी विजय कुमार पता हेबतराव मार्ग के नाम से दर्ज है।
यह था पूरा मामला
अपीलार्थी वादी का वाद इस प्रकार है कि वादी के आधिपत्य की ग्राम शंकरगढ, पटवारी हल्का नंबर 57, बालगढ, रा.नि.म.2, तहसील व जिला देवास में भूमि सर्वे नं. 78 रकबा 0.227हेक्टेयर, सर्वे नं. 79 रकबा 0.599 हेक्टेयर, सर्वे नं. 80 रकबा 0.121 हेक्टेयर,सर्वे नं. 81 रकबा 0.324 हेक्टेयर, सर्वे नं. 87, 88 रकबा 0.368 हेक्टेयर, सर्वे नं.89 रकबा 1.076 हेक्टेयर, स्वे नं. 90, 91 रकबा 1.157 हेक्टेयर, सर्वे नं. 92,93, 94 रकबा 0.567 हेक्टेयर, कुल सर्वे नं. 8, कुल रकबा 4.439 हेक्टेयर है। प्रतिवादी क्र.3 के पूर्वजों द्वारा श्री राम मंदिर का निर्माण स्वयं के स्वामित्व एवं आधिपत्य की भूमि पर स्वयं के खर्च से किया गया होकर मंदिर में मूर्ति भी स्वयं के व्यय व साधनों से लाकर हैबतराव मार्ग देवास पर स्थापित की थी। उक्त मंदिर की देखरेख, रखरखाव, दुरूस्ती, पूजा-अर्चना आदि समस्त कार्यप्रतिवादी क्र.3 के पूर्वज व उनके परिवार के सदस्यों द्वारा स्वयं के व्यय से किया जाता रहा है व आज दिनांक तक किया जाता है। उक्त मंदिर 180 से 200 वर्ष पुराना होकर मंदिर में अलग से कोई पुजारी नियुक्त नहीं है। वर्तमान में ललित अयाचित द्वारा उक्त मंदिर की देखरेख एवं पूजा-अर्चना की जा रही है। वादग्रस्त भूमि तत्कालीन रियासत के शासक द्वारा प्रतिवादी क्र.3 के पूर्वजों को 180-200 वर्ष पूर्व ईनाम में दी गई थी, जिसका इन्द्राज वर्ष 1938-39 के रियासतकाल के रिकार्ड में भी दर्ज है। वादग्रस्त भूमि को वर्ष 1970-7 में बिना प्रतिवादी क्रं 3 को सूचना दिए राजस्व अभिलेख में श्री राम मंदिर देवास भूमि स्वामी प्रबंधक कलेक्टर, पुजारी विजय पिता शंकर अयाचित अज्ञान पालकर्ता श्रीधर पिता गंगाधर अयाचित के नाम इन्द्राज किया गया। उक्त इन्द्राज के आधार पर तहसीलदार देवास द्वारा 18 मई 1980 को आदेश दिया गया था कि वादग्रस्त भूमि को नीलाम किया जाए। जिसके पालन में पटवारी ने 11 जून 1980 को बोली मौके पर लगाकर पंचनामा प्रस्तुत किया व धारा 248 के अंतर्गत कब्जाधारी के विरूद्ध कब्जा लेने की कार्यवाही की गई थी। जबकि 27 सिंतबर 1979 को नायब तहसीलदार देवास द्वारा पारित आदेश में यह निर्णय दिया गया था कि मंदिर श्री अयाचित का निजी था व इस मंदिर के मालिक को भूमि दी गई थी।
भूमि को खाली करवाकर पटवारी को सौंपा
तहसीलदार सपना शर्मा ने बताया कि यह भूमि श्रीराम मंदिर व मूर्तिस्वामी है उनके नाम दर्ज है। लगभग 35 से 40 वर्षों से इजहार अली के द्वारा भूमि पर कब्जा था, भूमि पर शब्बीर खां द्वारा कब्जा किया गया था। उनके बाद उनके पुत्र इजहार अली ने कब्जा कर रखा था। इस मामले में वर्ष 2015 में पटवारी अजय दायमा ने एक अतिक्रमण की रिपोर्ट दी थी, जैसे ही मामला संज्ञान में आया इनको नोटिस देने पर यह न्यायालय में चले गए। द्वितीय व्यवहार न्यायाधीश सोनल पटेल के द्वारा 2 मई 2023 में एक आदेश पारित किया गया। जिसमें इनको विधिवत सुनवाई का अवसर देकर अवैध आधिपत्य को हटाया जाना था। हमारे द्वारा भी इन्हें विधिवत तहसीलदार न्यायालय की और से सुनवाई का अवसर दिया गया। इनका पक्ष सुना गया। इसके बाद इजहार अली का आधिपत्य था उसेे हटाने की कार्रवाई की गई। वर्तमान में इस भूमि को खाली करवाकर इसका कब्जा पटवारी को सौंप रहे है। उक्त कृषि भूमि लगभग 18 बीघा जमीन है। आगे की कार्रवाई कोर्ट के माध्यम से की जाना है।