देवास। हमेशा सुर्खियों में बने रहने वाले जिला चिकित्सालय में दो दिनों में दो नवजात बच्चों की मौत हो गई। एक बच्चे की एसएनसीयू वार्ड में उपचार के दौरान मौत हुई तो दूसरा बच्चा मृत अवस्था में पैदा हुआ। दोनों ही मामलों में डॉक्टरों की लापरवाही के आरोप परिजनों ने लगाए हैं। एक मामले में परिजनों ने इसकी शिकायत कलेक्टर, सीएमएचओ सहित पुलिस अधीक्षक को करने की बात कही है। वहीं दूसरे मामले में प्रसूता को मृत बच्चा पैदा हुआ, परिजनों का कहना था कि उसकी समय रहते डिलवेरी होती तो मृत बच्चा पैदा नहीं होता। पहले मामले को लेकर परिजनों ने बताया कि डिलेवरी के लिए वहां की महिला डॉक्टर ने रुपए भी मांगे जो उनके द्वारा दिए गए थे। एसएनसीयू वार्ड में मृत हुए बच्चे का पोस्टमार्टम कर शव परिजनों को सौंप दिया गया व मामले को लेकर नाहर दरवाजा थाना पुलिस ने मर्ग कायम कर प्रकरण को जांच में लिया है।
जानकारी के अनुसार सनी गेहलोत निवासी चंद्रतारा लेक सिटी पार्ट-1 राजोदा रोड उनकी पत्नी सविता गेहलोत को प्रसूति के लिए 3 जून की देर रात्रि करीब 10 बजे जिला चिकित्सालय लेकर आए थे। प्रसूता ने देर रात को एक बच्चे को जन्म दिया। बच्चे को प्रसूती कक्ष से डॉक्टर ने एसएनसीयू वार्ड में ले गए। बताया गया है कि उसे सांस लेने में काफी समस्या आ रही थी, बच्चे की उपचार के दौरान तीन दिन के बाद मौत हो गई। गुरुवार सुबह मृत बच्चे का पोस्टमार्टम कर शव परिजनों को सौंप दिया गया। मामले को लेकर नाहर दरवाजा थाना पुलिस ने मर्ग कायम कर प्रकरण को जांच में लिया है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले गत 26 मई को बरोठा के रहने वाले देवेंद्र की पत्नी ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया था स्वास्थ खराब होने पर उसे जिला चिकित्सालय के एसएनसीयू वार्ड में लेकर आए जहां उसकी मौत हो गई थी। उस दौरान परिजनों ने जमकर हंगामा किया था।
सिर पर किसी औजार के निशान थे
पिता सनी गेहलोत ने बताया कि उसकी पत्नी सविता गेहलोत को प्रसूति के लिए जिला चिकित्सालय में भर्ती किया गया। 3 जून की रात्रि को उनकी पत्नी ने बच्चे को जन्म दिया उसके बाद से बच्चा एसएनसीयू वार्ड में भर्ती था। परिजनों को बच्चे के पास जाने नहीं दिया और 6 जून की सुबह बच्चे की मौत हो गई। बच्चे के सिर पर चोंट के निशान भी थे। लेकिन डॉक्टरों ने यह बात परिजनों को नहीं बताई। ड्युटी पर मौजूद स्टॉफ ने हमें बच्चे के पास ने हमें कुछ भी नहीं बताया और बच्चे से मिलने भी नहीं दिया। डॉक्टरों के द्वारा कहा जाता है कि आपके बच्चे को ऑक्सीजन की कमी है कुछ देर के बाद बताया कि उसकी हार्टबीट कम हो गई है। जब बच्चे को हमें दिया गया उसे कपड़े पहनाते समय देखा उसके सिर पर किसी औजार के निशान थे। निशान देखकर हमें आशंका हो रही है कि बच्चे की मृत्यु ऑक्सीजन से नहीं अपितु यहां के डॉक्टरों की लापरवाही से हुई है। बच्चे के पिता सनी ने बताया कि उसकी पत्नी के ऑपरेशन के लिए उससे 15 हजार रुपयों की मांग की थी। वहां के स्टॉफ ने 7 हजार रुपए बताए जिस पर उन्हें ऑपरेशन के लिए रुपए दिए तब उन्होनें ऑपरेशन किया और डिलेवरी हुई।
सांस लेने में तकलीफ हो रही थी
इस मामले में एसएनसीयू वार्ड के ड्युटी डॉक्टर अनुपम जैन ने बताया कि बच्चे की मौत चोंट लगने से नहीं हुई है। बच्चा देर से रोया था उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। उसके बाद एसएनसीयू वार्ड में रात को भर्ती किया गया था। उसे मशीन पर रखा गया, सुबह बच्चे की हालत और बिगड़ी उसे झटके आने लगे उसे वेंटीलेटर पर ही रखा था।
हमारे पास पीआईसीयू में डॉक्टरों की कमी है
मामले को लेकर सिविल सर्जन एमपी शर्मा ने बताया कि इस प्रकरण में प्रसूति विभाग की डॉक्टर ने साधना वर्मा से चर्चा कर मामले को जाना है। उन्होनें बताया था कि प्रसूता उनके पास 3 की रात को आई थी। सुबह उसका ऑपरेशन किया था। प्रसूता को हुए बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। इसलिए उस बच्चे को एसएनसीयू वार्ड में रखा गया था। ऑबर्जवेशन के लिए ऐसे बच्चों को रखा जाता है। एसएनसीयू वार्ड में बच्चे का उपचार चल रहा था। गुरुवार सुबह उसकी मौत हो गई। निश्चित रुप से यह जांच का विषय है। बच्चे का पोस्टमार्टम भी कराया गया है। जो भी स्थिति आएगी उस हिसाब से इस मामले में कार्रवाई करेंगे। एसएनसीयू वार्ड में सभी चिकित्सक क्षमता के अनुसार काम कर रहे हैं। पूरे प्रदेश में हमारे यहां बने एसएनसीयू वार्ड की तारिफ भी होती है। हम काफी संघर्ष करते हैं लेकिन कुछ बच्चों को हम बचा नहीं पाते हैं। एसएनसीयू वार्ड के लिए भोपाल में वरिष्ठ स्वास्थ अधिकारियों को पत्र लिखा है कि हमारे पास पीआईसीयू में डॉक्टरों की कमी है इन पदों को भरा जाए ताकि हम और अच्छे स्तर पर काम कर सकें।
डिलेवरी हुई बच्चा मृत पैदा हुआ
जानकारी के अनुसार रसूलपुर से आशिक अली उनकी पत्नी मेहरुन निशा उम्र 19 वर्ष को 31 मई को प्रसूती के लिए जिला चिकित्सालय लेकर आया था। लेकिन डॉक्टर ने यह कहकर उसे वापस लौटा दिया कि उसकी डिलेवरी का समय अभी नहीं हुआ है। लेकिन प्रसूता के पति ने बताया कि उसके गर्भ का समय पूरा हो चुका था। डॉक्टर ने डिलेवरी नहीं की। इसके बाद आशिक उसकी पत्नी को 4 जून को फिर लेकर आया तो उसकी डिलेवरी 5 जून को की गई जिसमें बच्चा मृत पैदा हुआ। मामले को लेकर परिजनों ने बताया कि मेहरुन की रिपोर्ट नार्मल थी अगर बच्चे की समय रहते डिलेवरी हो जाती तो वह मृत पैदा नहीं होता। उन्होनें डॉक्टरों पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं।