मराठी भाषी परिवार ने घर के बाहर गुड़ी बांधी, सुख समृद्धि की कामना कर कि पूजा अर्चना पड़वा का अर्थ प्रतिपदा से होता है, गुड़ी पड़वा के दिन होता है बुराइयों का अंत

देवास। आज से हिंदू नववर्ष आरंभ हुआ है साथ ही गुड़ी पड़वा का पर्व भी उत्साह के साथ मनाया गया है। मराठी भाषी परिवार ने घर के बाहर गुड़ी बांधी व सुख समृद्धि की कामना करते हुए उसकी पूजा अर्चना की। शहर में कई मराठी भाषी परिवार ने गुड़ी बांधकर पर्व को मनाया।


हिंदू पंचांग के अनुसार नववर्ष की शुरुआत चैत्र माह में होती है। चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिंदू नववर्ष का आरंभ होता है। हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2081 आज से शुरू हो चुका है। हर साल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष आरंभ होता है। महाराष्ट्र में मुख्य रूप से हिंदू नववर्ष को नव-सवंत्सर भी कहा जाता है तो कहीं इसे गुड़ी पड़वा के रूप में मनाते हैं। मालवा क्षेत्र में भी आज के दिन को गुड़ी पड़वा के रुप में ही मनाया जाता है। शहर के एक मराठी परिवार में भी इस पर्व को मनाया जा रहा था। जहां देवास अपडेट की टीम पहुंची थी। इस पर्व के बारे में श्रीमती आरस ने बताया कि दक्षिणी राज्यों में इसे उगादी कहते हैं। गुड़ी शब्द का अर्थ विजय पताका और पड़वा का अर्थ प्रतिपदा से होता है। इस दिन घरों को सजाया जाता है और उत्सव के साथ इस त्यौहार को मनाते हैं। गुड़ी पड़वा को आंध्र प्रदेश और कर्नाटका में उगादि के नाम से जाना जाता है। दो शब्दों से मिलकर बने गुड़ी पड़वा में, गुड़ी का अर्थ है झंडा और पड़वा का अर्थ प्रतिपदा तिथि से है। श्रीमती आरस व उनकी पुत्री ने मिलकर गुड़ी बांधी और पूजा अर्चना की।


गुड़ी पड़वा के दिन बुराइयों का अंत होता है
श्रीमती आरस ने बताया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार, गुड़ी पड़वा का दिन सृष्टि की रचना के रूप में मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन ही भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसलिए इस दिन भगवान ब्रह्मा की पूजा का विशेष महत्व है। इसके अलावा एक और मान्यता है कि इस दिन ही छत्रपति शिवाजी महाराज ने विदेशी घुसपैठियों को युद्ध में पराजित किया था। कहते हैं कि गुड़ी पड़वा के दिन बुराइयों का अंत होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।


इस तरह गुड़ी लगाई जाती है
श्रीमती आरस ने बताया कि सबसे पहले एक बांस का डंडा लिया जाता है, उसके ऊपर चांदी, तांबे या पीतल के लोटे को उल्टा करके रखा जाता है। लोटे पर स्वास्तिक बनाया जाता है और इसके बाद उसे साड़ी, पुष्प माला, आम के पत्ते और नीम के पत्तों से सजाया जाता है। गुड़ी को सजाने के बाद उसे किसी ऊंची जगह पर रखते हैं ताकि वह दूर से ही नजर आएं। गुड़ी को लगाते वक्त घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की जाती है।


उस दिन गुड़ी पड़वा का ही दिन था
पौराणिक कथाओं के अनुसार रामायण काल में दक्षिण भारत में जब सुग्रीव के बड़े भाई बाली का अत्याचारी शासन था और जब सीता माता की खोज के दौरान श्री राम की मुलाकात सुग्रीव से हुई तो उन्होंने बाली के अत्याचारों की जानकारी मिली तब भगवान राम ने बाली का वध करके वहां की प्रजा को अत्याचार से मुक्ति दिलाई। उस दिन गुड़ी पड़वा का ही दिन था।

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