जनसुनवाई में पहुंचे व्यक्ति ने खाया जहरीला पदार्थ, पैर झुलसने के बाद नहीं मिल रहा था मुआवजा
कई जगह शिकायत के बाद भी सुनवाई नहीं होने पर उठाया कदम, जिला अस्पताल में उपचार जारी

देवास। जिला कलेक्टर कार्यालय के सभाकक्ष में मंगलवार को चल रही जनसुनवाई के दौरान दोपहर में एक व्यक्ति ने जहरीला पदार्थ खा लिया उस दौरान कलेक्टर परिसर में जमकर हडक़ंप मच गया। शोरगुल होने पर कलेक्टर कार्यालय में बैठे अधिकारी व अन्य लोग बाहर आए और संबंधित व्यक्ति के मुंह में अंगुली डालकर काले रंग का जहरीला पदार्थ बाहर निकाला व पानी पिलवाकर कुल्ला करवाया गया। व्यक्ति को बाहर लाकर अस्पताल पहुंचाना था लेकिन कोई वाहन उपलब्ध नहीं हो पाया। इसके बाद तहसीलदार ने अपने वाहन से व्यक्ति को जिला अस्पताल पहुंचाया जहां इमरजेंसी वार्ड में उपचार शुरू किया गया। प्राथमिक उपचार के बाद व्यक्ति को आईसीयू में भर्ती किया गया। जहां उसकी हालत खतरे से बाहर थी।


जानकारी के अनुसार अरुण सोनी निवासी प्रेमनगर पार्ट-2 ने मंगलवार में जनसुनवाई के दौरान कलेक्टर परिसर में जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या का प्रयास किया। मौके पर मौजूद अधिकारियों व लोगों ने मुंह में अंगुली डालकर काले रंग का जहरीला पदार्थ बाहर निकाला व पानी पिलवाकर कुल्ला करवाया उसके बाद उसे तहसीलदार पूनत तोमर के वाहन से जिला चिकित्सालय भेजा जहां उसका उपचार जारी है। मामले की जानकारी मिलने के बाद कोतवाली थाना प्रभारी एमएम परमार जिला अस्पताल पहुंचे और पीडि़त अरुण के बयान लेकर जांच शुरू की है।


20 से 25 हजार रुपए लेकर केस खत्म करने का बनाया दबाव
पीडि़त ने कहा कि एक माह से मेरा केस चल रहा है। कल मुझे एक प्रतिलिपि मिली। जिस विभाग में मेरी जवाबदारी है। उन लोगों ने भी मेरा कोई सहयोग नहीं किया बल्कि मुझ पर दबाव बनाया कि 20 से 25 हजार लेकर केस खत्म करो और वह कंपनी की और बोल रहे है। कंपनी वालों ने मुझे विश्वास में लिया जब मेरा पैर जला तो उन्होंने मुझे बोला की तुम कंपनी के विरुद्ध कोई कार्रवाई मत करना हम आपका पूरा सहयोग करेंगे और अस्पताल में जाकर बोलना की यह पैर घर पर जला है। उन्होंने कहा सैलेरी देंगे कंपनी में भी रखवा लेंगे और जो पैसा बनेगा वह भी देंगे। लेकिन आज मुझे आठ माह हो गए। लेकिन इधर से उधर आवेदन देते-देते में थक गया मुझे कोई नहीं मिला। अरुण ने बताया कि कलेक्टर कार्यालय, एसपी कार्यालय, श्रम विभाग, सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की लेकिन सुनवाई नहीं हुई। इधर से उधर चक्कर लगवाए गए, उसने बताया मैं अकेला कमाने वाला हूं, बच्चों की पढ़ाई बंद हो गई, इससे परेशान होकर उसने जनसुनवाई में कार्यालय के बाहर जहरीला पदार्थ खा लिया।


इनका कहना :
एक कंपनी में श्रमिक का एक्सिडेंट हो गया था। कंपनी द्वारा पूर्व में उसका उपचार करवाया गया और मुआवजे के रुप में मेडिकल हेल्थ और जो सैलेरी दी गई लगभग डेढ़ लाख रुपए उसे सहायता दी गई। जिसके अलावा औद्योगिक हेल्थ एण्ड सैफ्टी में उनका प्रकरण चल रहा है। जो भी क्षतिपूर्ति का मुआवजा तय होगा वह दिया जाएगा।
जिला कलेक्टर, ऋषव गुप्ता

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