देवास। भाजपा कार्यालय पर शनिवार को एक भाजपा कार्यकर्ता ने टिकट नहीं मिलने के बाद केरोसिन डालकर आत्महत्या करने का प्रयास किया। कहा जाए तो नगर निगम चुनाव भाजपा के लिए मुसीबत बन गए हैं। पहले प्रत्याशी के चयन में भाजपा में खींचतान हुई तो प्रत्याशियों के एलान के बाद और परेशानी बढ़ गई। संभवत: पहली बार ऐसा हुआ जब पार्षद प्रत्याशियों की सूची जारी होने पर जिलाध्यक्ष और जिला महामंत्री पर टिकट बेचने के आरोप लगाए गए। यहां तक की दोनों पदाधिकारियों के पुतले भी जलाए गए हैं। कुछ ने यहां तक कहा कि हमारे वार्ड में जिलाध्यक्ष, जिला महामंत्री का आना मना है। आरोप लगे कि पार्टी की सारी गाइडलाइन ताक पर रख दी गई और खुद को आगे रखने के चक्कर में कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की गई। सबसे ज्यादा नाराजगी उन महिला नेत्रियों में देखी गई जो सालों से पार्टी के लिए समर्पित होकर चप्पलें घिसतीं रही मगर जब टिकट की बारी आई तो नेताओं की पत्नी को उपकृत कर दिया गया। शनिवार को भी वार्ड के स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता को टिकट नहीं मिला तो उसने जिलाध्यक्ष और जिला महामंत्री पर उपेक्षा करने का आरोप भी लगाया। अब भाजपा डैमेज कंट्रोल में जुटी है, मगर जो बगावत के स्वर उठ रहे हैं उससे महापौर प्रत्याशी घबरा गए हैं क्योंकि इस बगावत की आंच भाजपा के महापौर उम्मीदवार तक भी पहुंचेगी।
भाजपा कार्यकर्ता ने अपना पक्ष रखा और कोई आश्वासन नहीं मिला तो अपने उपर केरोसीन डालकर आत्मदाह का प्रयास किया। वह तो गनीमत रहा कि उसके साथियों ने उसे आग लगने के पहले ही पकड़ लिया और तुरंत उसके उपर पानी डाला गया, नहीं तो बड़ा हादसा हो जाता। वार्ड क्रमांक 25 के निवासी भोजराज सिंह जादौन पूर्व प्रदेश सह संयोजक भाजपा ने अपने लिए टिकट की मांग कि थी। लेकिन वहां वार्ड के व्यक्ति को टिकट नहीं देते हुए पार्टी ने बाहरी प्रत्याशी मनीष सेन को वहां से टिकट दिया। जिसके लिए भाजपा कार्यकर्ता व स्थानीय वार्ड के लोगों ने भाजपा कार्यालय पर विरोध जताया।
जमीनी कार्यकर्ताओं को दरकिनार किया
कार्यकर्ताओं ने भाजपा कार्यालय में बैठकर नारेबाजी करते हुए विरोध जताया। साथ ही कहा कि टिकट वितरण में भाजपा की जो गाइडलाइन थी उसके आधार पर टिकट वितरित नहीं किए गए। कई वार्डो में भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं को दरकिनार करते हुए अन्य दूसरे प्रत्याशियों को टिकट दिया गया। नाराज कार्यकर्ता भाजपा महामंत्री मनीष सोलंकी से कहते रहे की हमारी जिलाध्यक्ष राजीव खंडेलवाल से बात कराओ लेकिन उन्होंने कह दिया की वह तो बाहर करनावद निकल गए। जबकि वह भाजपा प्रत्याशी के साथ नामांकन रैली में थे। कोई आश्वासन नहीं मिला तो नाराज भाजपा कार्यकर्ता ने अपने उपर केरोसीन डाल लिया।
रूपए लेकर टिकट देने का लगाया आरोप
भाजपा नेता भोजराज सिंह जादौन ने आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा जिलाध्यक्ष राजीव खंडेलवाल व जिला महामंत्री राजेश यादव ने रूपए लेकर टिकट वितरित किए। साथ ही जो वार्ड अनारक्षित थे वहां पिछड़ा वर्ग के लोगों को टिकट दिया गया यह एक वार्ड की बात नहीं है अन्य वार्डों में भी यही स्थिति है। इसके लिए सीधे तौर पर जिलाध्यक्ष को दोषी ठहराया।
इस तरह की पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हुई
भाजपा ने गुरुवार को 45 वार्डों के पार्षद प्रत्याशी घोषित किए। हालांकि इसकी सूची बुधवार को ही लगभग तय होकर कुछ भाजपा नेताओं के पास आ चुकी थी और सोशल मीडिया पर मैसेज चलने लगे थे। बधाइयों और स्वागत का सिलसिला भी चल पड़ा था मगर कुछ नामों को लेकर विरोध हुआ तो सूची होल्ड कर दी गई। बाद में प्रदेश कार्यालय से सूची जारी की गई। सूची जारी होते ही विरोध की चिंगारी भडक़ी जो आग बन गई। कई वार्डों में नए नाम दिए गए तो कुछ में विवादित नामों को जगह दी गई। पुराने नामों को काटा गया तो समर्थकों को एडजस्ट किया गया। एक तरफ तो हिंदुत्व की बात की गई तो दूसरी तरफ मोदी सरकार का विरोध करने वालों को पार्षद का टिकट दे दिया गया। इन सब बातों के चलते इस तरह से विरोध हुआ कि संगठन निशाने पर आ गया। पैलेस का भी विरोध हुआ।
फेसबुक पर की पोस्ट, जिसमें झलकी नाराजगी
हैरानी की बात रही कि पूरी सूची में भाजपा के नेता, पूर्व महापौर रहे सुभाष शर्मा को पूरी तरह साइड लाइन कर दिया गया। उनके बेटे विमल शर्मा ने अपनी पत्नी रीता के लिए महापौर का टिकट मांगा था मगर नाकाम रहे। इसके बाद जब पार्षदी की बारी आई तो 26 नंबर वार्ड से उनका टिकट काटकर महापौर की दावेदारी कर लगभग तय हो चुके पैलेस के वफादार रवि जैन को दे दिया गया। दुर्गेश अग्रवाल के नाम के कारण जैन का टिकट कटा था तो उनको दूसरी जगह एडजस्ट करना पैलेस की मजबूरी हो गई थी। इसके बाद विमल शर्मा ने इसी वार्ड से शुक्रवार को नामांकन दाखिल कर दिया। वे निर्दलीय लड़ेंगे या नाम वापस लेंगे इसे लेकर अब बहस हो रही है लेकिन इस फैसले ने जता दिया है कि शर्मा अब पैलेस की पसंद नहीं रहे हैं और उनके अपनी कार्यशैली के चलते पैलेस उनसे नाराज हुआ है वरना उनको पार्षद से लेकर सभापति और महापौर तक सब कुछ पैलेस की अनुकंपा से ही हासिल हुआ था लेकिन बीच में वे इतने विवादों में घिरे कि उन्हें पार्षद तक के टिकट से मोहताज होना पड़ा।
महिला नेत्रियों की उपेक्षा, नेता पत्नियों को तवज्जो
टिकट वितरण में सबसे ज्यादा उपेक्षा भाजपा की महिला नेत्रियों की हुई। जो महिलाएं सक्रिय रूप से भाजपा का काम कर रहीं हैं उन्हें तवज्जो न देकर नेताओं की पत्नियों के नाम पर मुहर लगाई गई। बड़े नेताओं के दखल के कारण महिलाओं को उनके हक से वंचित होना पड़ा। अब ये महिलाएं दबीजुबान विरोध जता रहीं हैं। डॉ. मनीषा बापना ने प्रेसनोट जारी कर कहा कि वैसे तो भाजपा संगठन अपने कार्यकर्ताओं और वास्तविक रूप से सामाजिक सेवाओं में लगे संगठन के पदाधिकारियों को महत्व देने की बात करता है, लेकिन इस बार पार्टी की और से चुने गए प्रत्याशियों के मामले में उसके सारे सिद्धांत धराशायी नजर आ रहे हैं। टिकटों के वितरण के मामले में लगता है कि संगठन ने कुछ जी हुजूरी करने वाले नेताओं को अपने भविष्य का कर्णधार बनाने का निश्चय किया है। इसमें वे लोग ज्यादा हैं जिनका जनता से सीधे कोई वास्ता नहीं और न ही देवास के विकास से। संगठन में दिन रात मेहनत करने वाली महिला मोर्चे की कार्यकर्ताओं को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया। सालों साल से बिना किसी पद के संगठन के एक इशारे पर कार्य करने वाली जुझारू महिला कार्यकर्ताओं की उपेक्षा संगठन के दृष्टिकोण पर प्रश्नचिह्न लगा रही है। सवाल उठता है संगठन के लिए खून पसीना एक कर देने वाले लोगों के प्रति यह उपेक्षा का भाव क्या पार्टी को मजबूती देगा। क्या कार्यकर्ताओं की बजाय अब संगठन जी हुजूर लोगों की तरफदारी करने लगा है।