कोडिंग फॉर एवरीवन अभियान से 17 वर्षीय छात्र ने सीखी थी कोडिंग-देहरादून की कंपनी में मिला 8 लाख रूपए का पैकेज, कलेक्टर ने दिया ऑफर लेटर -इतनी मेहनत करें कि हमें कंपनियों तक ना जाना पड़े, कंपनी खुद आकर बच्चों का चयन करें : कलेक्टर

देवास। जिला प्रशासन के द्वारा कोडिंग फार एवरीवन लगभग आठ माह पूर्व अभियान की शुरुआत की थी। जिसमें जिले के हाटपीपलिया के बामनखेड़ी में रहने वाले छात्र ने फ्री कोडिंग सीखी उसने इतना अच्छा कार्य किया जिससे देहरादुन की कोड योगी कंपनी ने 8 लाख रुपए के पैकेज का ऑफर दिया साथ ही उनकी यूनीर्वसीटी में तीन साल के कोर्स करने का मौका मिला है। छात्र को 18 जून को वहां पहुंचना था किंतु पिता ने कलेक्टर से कहा कि उन्हें खेत में बोवनी करनी है उसके बाद बच्चे को लेकर वे 24 जून तक देहरादुन पहुंच जाएंगे। कलेक्टर ने कंपनी प्रबंधन से चर्चा कर 24 जून को पहुंचने का बात कही है।


जिला प्रशासन के द्वारा कोडिंग फार एवरीवन अभियान शुरु किया था। जिसमें जिले के करीब 180 स्कूलों के 16 हजार से अधिक बच्चों ने अपनी सहभागिता कि थी। इन बच्चों में जिले के हाटपिपलिया के बामनखेड़ी ग्राम में रहने वाले अंकित पिता धीरज सिंह सेंधव उम्र 17 वर्ष ने इतनी अच्छी कोडिंग सीखी कि उसे देहरादुन की कोड योगी में काम करने का मौका मिला है। अंकित के पिता ने बताया कि वह घर से बाहर नहीं जाता था, घर पर ही बैठकर उसने कोडिंग सीखी है। उसने अभी 12 वीं कक्षा की परिक्षा दी थी उसमें भी अव्वल नंबरों से पास हुआ है।


मुझे 8 लाख रुपए सालाना मिलेगा
अंकित ने बताया कि कलेक्टर ऋषव गुप्ता ने कोडिंग अभियान शुरु किया था। मुझे मेरे स्कूल में पता चला तो मैनें इसे सीखने के लिए पढ़ाई की। मैनें अच्छा कार्य किया तो मुझे देहरादुन की कोड योगी कंपनी में काम करने का मौका मिला है वहां मुझे 8 लाख रुपए सालाना मिलेगा। अंकित ने बताया कि कोडिंग में बहुत सारी भाषाएं होती है। इसे सीखने के बाद वेबसाइड, एप्स बना सकते हैं। स्कूल में पढऩे वाले बच्चों से कहना है कि आज इंटरनेट का जमाना है, इंटरनेट का उपयोग कुछ सीखने के लिए ही करें।


अंकित जैसे बच्चे का अनुसरण करें
कलेक्टर ऋषव गुप्ता ने बताया कि लगभग आठ माह पूर्व कोडिंग फार एवरीवन नाम से अभियान की शुरुआत हुई थी। हमारा लक्ष्य यह है कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी है उसमें यह बताया था कि मीडिल, हाईस्कूल और हाईसेकेण्डरी के छात्रों को कोडिंग का ज्ञान होना चाहिए। उसी के तहत फ्री कोडिंग सीखने की योजना कोड योगी के माध्यम से देवास में बच्चों को प्राप्त हुई है। इसमें कई बच्चों ने कोडिंग सीखना शुरु किया। जिले के 180 स्कूलों के 16 हजार बच्चों ने कोडिंग सीखना शुरु किया। जिला प्रशासन की और से प्रयास किया गया था बच्चे अच्छा कर रहे हैं उनकी हेण्ड होल्डिंग की जाए। कुछ कीबोर्ड, माऊस, यूएसबी व अन्य चीजें उन्हें उपलब्ध कराई गई। साथ ही बच्चों को प्रेरित किया गया कि यदि आप अच्छा करेंगे तो उन्हें आगे कई प्रकार की नौकरियां मिल सकती है। आज बड़ा हर्ष का विषय है कि जिले के हाटपीपलिया में रहने वाले अंकित ने कोडिंग फार एवरीवन अभियान में हिस्सा लिया और इतनी अच्छी कोडिंग सीखी कि उसे देहरादुन की कोड योगी कंपनी में 8 लाख रुपए सालाना पैकेज का ऑफर मिला है। साथ में 10 हजार रुपए प्रतिमाह देने का ऑफर भी मिला है। इसके साथ ही उनकी यूनिर्वसीटी में तीन साल के कोर्स को भी फ्री करने का मौका मिला है। कलेक्टर ने कहा कि अंकित जैसे बच्चे का अनुसरण करें और इतनी मेहनत करें कि हमें कंपनियों तक ना जाना पड़े कंपनी खुद आकर अच्छे बच्चों का चयन करें।

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